आज देशभर में हाउसिंग सोसाइटियों में रिडेवलपमेंट तेज़ी से बढ़ रहा है। पुरानी इमारतों की सुरक्षा, रखरखाव का खर्च, और आधुनिक सुविधाओं की आवश्यकता को देखते हुए हर शहर में बड़ी संख्या में सोसाइटियाँ पुनर्विकास करवा रही हैं।
लेकिन इस प्रक्रिया के दौरान सबसे ज़्यादा विवाद जिस विषय पर होता है, वह है—पर्यायी आवास (Alternative Accommodation) के किराये की राशि।
बहुत से सदस्य पूछते हैं:
-
किसी को ज़्यादा किराया और किसी को कम क्यों?
-
दुकानदारों को इतना अधिक मुआवज़ा क्यों मिलता है?
-
बिल्डर पूरे भवन का ताबा मिलने तक किराया क्यों नहीं देता?
इस लेख में हम इन सभी सवालों का कानूनी और व्यावहारिक जवाब आसान भाषा में समझेंगे।
1. रिडेवलपमेंट में पर्यायी आवास का किराया क्या होता है?
जब सोसाइटी की इमारत तोड़कर फिर से बनाई जाती है, तब हर परिवार के पास रहने के लिए दूसरा घर होना चाहिए। इसलिए बिल्डर कानूनी रूप से जिम्मेदार होता है:
-
किराया देने के लिए, या
-
अस्थायी फ्लैट उपलब्ध कराने के लिए, या
-
किराया + शिफ्टिंग खर्च + अन्य भत्ते देने के लिए
यह किराया तब तक दिया जाता है जब तक नई इमारत बनकर तैयार नहीं हो जाती और सदस्यों को नया फ्लैट नहीं मिलता।
लेकिन आजकल शहरों में:
-
किराये बहुत महंगे हैं
-
स्कूल और ऑफिस के हिसाब से घर ढूंढना मुश्किल है
-
कम समय में नया घर मिलना और शिफ्टिंग करना चुनौतीपूर्ण है
इस वजह से कई बार लोगों को 1–2 महीनों का किराया अपनी जेब से भी देना पड़ता है।
2. अलग-अलग सदस्यों को अलग किराया क्यों मिलता है?
यही सबसे बड़ा विवाद है। अक्सर लोग सोचते हैं कि यह भेदभाव है।
लेकिन इसकी कानूनी वजहें बिल्कुल स्पष्ट हैं।
कारण 1: किराया आपके फ्लैट के क्षेत्रफल पर निर्भर होता है
किराया हमेशा आपके फ्लैट के कार्पेट एरिया के आधार पर तय होता है, न कि परिवार के सदस्यों की संख्या पर।
उदाहरण:
-
850 sq. ft. वाले 2 BHK फ्लैट का किराया अधिक होगा
-
450 sq. ft. वाले 1 BHK का किराया कम होगा
यह पूरी तरह नियमों के अनुसार होता है। इसमें कोई भेदभाव नहीं है।
कारण 2: दुकान मालिकों को अधिक मुआवज़ा मिलना पूरी तरह जायज है
दुकानदारों का मुआवज़ा हमेशा अधिक होता है क्योंकि:
-
उनका व्यवसाय बंद हो जाता है
-
रोज़ की कमाई बंद हो जाती है
-
ग्राहकों का नुकसान होता है
-
अस्थायी कमर्शियल जगह बहुत महंगी होती है
इसलिए दुकानदारों को व्यापक आर्थिक नुकसान के आधार पर अधिक रकम मिलती है।
कारण 3: बाज़ार दर + समाज और बिल्डर की बातचीत का प्रभाव
किराया इन पर निर्भर करता है:
-
उस क्षेत्र की चल रही रेंट मार्केट
-
बिल्डर की वित्तीय क्षमता
-
समाज की बातचीत की ताकत
-
प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसल्टेंट (PMC) की भूमिका
जहाँ बातचीत मज़बूत होती है, वहां किराया भी अच्छा तय होता है।
3. बिल्डर पूरा किराया तब तक क्यों नहीं देता जब तक पूरी इमारत खाली नहीं होती?
यह प्रश्न हर सोसाइटी में उठता है।
लोग कहते हैं:
“कुछ सदस्य तैयार हैं, पर कुछ नहीं।
मेरा किराया क्यों रुका है?”
इसका कारण पूरी तरह कानूनी और 100% सही है:
बिल्डर तब तक काम शुरू नहीं कर सकता जब तक उसे पूरी इमारत का ताबा नहीं मिलता।
भले ही:
-
51% सहमति हो,
-
70% सहमति हो,
-
100% लोग अनुबंध पर हस्ताक्षर कर चुके हों
लेकिन जब तक भौतिक ताबा (Physical Possession) नहीं मिलता, बिल्डर:
-
बिल्डिंग नहीं गिरा सकता
-
मशीनरी नहीं लगा सकता
-
बैंक स्वीकृति नहीं ले सकता
-
निर्माण शुरू नहीं कर सकता
इसलिए:
**✔️ किराया तभी शुरू होता है जब सभी सदस्य अपना घर खाली कर देते हैं
✔️ आंशिक ताबा बिल्डर के लिए बेकार है**
4. अगर एक-दो सदस्य ताबा देने में देरी करें तो क्या होता है?
ऐसा लगभग हर सोसाइटी में होता है।
लेकिन इससे नुकसान सिर्फ उसी सदस्य को नहीं—पूरी सोसाइटी को होता है।
इससे:
-
किराया देर से मिलता है
-
प्रोजेक्ट का समय बढ़ जाता है
-
खर्च बढ़ जाता है
-
दूसरे सदस्यों का नुकसान होता है
उपाय
(A) कानूनी कदम
सोसाइटी:
-
समन्वयक अधिकारियों से शिकायत कर सकती है
-
सहकारी अदालत का रुख कर सकती है
-
पुनर्विकास कानूनों के तहत कार्रवाई कर सकती है
(B) आपसी समझौता
अक्सर बातचीत से समस्या जल्दी हल हो जाती है।
5. क्या अलग-अलग किराया मिलना ‘भेदभाव’ है?
नहीं, बिल्कुल नहीं।
यह कानूनी रूप से उचित है क्योंकि:
-
किराया हमेशा क्षेत्रफल के आधार पर तय होता है
-
दुकानदारों को व्यवसायिक नुकसान के कारण अधिक मिलता है
-
अनुबंध में किराये की गणना स्पष्ट रूप से लिखी होती है
-
सभी सदस्य अनुबंध पर हस्ताक्षर करते हैं
इसलिए यह नियमित प्रावधान है, न कि भेदभाव।
6. लोग 1–2 महीने का किराया खुद क्यों देते हैं?
इसके व्यावहारिक कारण हैं:
-
नया फ्लैट खोजने में समय लगता है
-
स्कूल और ऑफिस की दूरी महत्वपूर्ण होती है
-
बिल्डर नोटिस कम समय का देता है (30–40 दिन)
-
बिल्डर किराया तभी जारी करता है जब पूरा ताबा मिल जाए
यह शहरों की वास्तविक स्थिति है, कानूनी कमी नहीं।
7. सदस्यों को अपने अधिकार कैसे सुरक्षित रखने चाहिए?
✔️ अनुबंध पूरी तरह पढ़ें
विशेषकर किराया, शिफ्टिंग, पेनल्टी और समयसीमा वाले हिस्से।
✔️ किराये की गणना की जांच करें
क्या यह कार्पेट एरिया के हिसाब से है?
✔️ हर बात लिखित में लें
ईमेल, नोटिस और मीटिंग मिनट्स बहुत काम आते हैं।
✔️ व्यक्तिगत नहीं, सामूहिक रूप से बात करें
एकजुट आवाज अधिक प्रभावी होती है।
✔️ ताबा देने में अनावश्यक देरी न करें
इससे सबका नुकसान होता है।
✔️ विशेषज्ञ या PMC की मदद लें
वे सदस्यों का हित सुरक्षित रखते हैं।
8. आपकी सोसाइटी की स्थिति का विश्लेषण
आपके केस में:
-
2–3 BHK मालिक और दुकानदार मौजूद हैं
-
सबको अलग-अलग किराया तय हुआ है
-
कुछ सदस्य ताबा देने को तैयार हैं, कुछ नहीं
-
बिल्डर कह रहा है कि पूरा ताबा मिलने के बाद ही किराया शुरू होगा
यह पूरी तरह कानूनी है।
क्योंकि:
-
किराया क्षेत्रफल पर निर्भर है
-
दुकानदारों को व्यवसायिक नुकसान का मुआवज़ा मिलता है
-
पूर्ण ताबा मिलने से पहले निर्माण शुरू नहीं हो सकता
-
एक सदस्य की देरी से सभी प्रभावित होते हैं
9. मुख्य बातें (Short Summary)
-
अलग-अलग किराया मिलना सही और कानूनी है
-
बिल्डर तब तक किराया नहीं देता जब तक पूरी इमारत खाली नहीं होती
-
दुकानदारों को ज़्यादा मुआवज़ा मिलता है—यह उचित है
-
एक सदस्य की देरी सबके लिए नुकसानदायक होती है
-
रिडेवलपमेंट में सहयोग, समय पर निर्णय और साफ संवाद बहुत ज़रूरी है
10. अंतिम सलाह
रिडेवलपमेंट सिर्फ निर्माण नहीं—यह एक सामाजिक प्रक्रिया भी है।
इसमें धैर्य, एकता और समझदारी सबसे महत्वपूर्ण है।
-
समय रहते नया घर ढूंढें
-
बिल्डर और सोसाइटी से संवाद बनाए रखें
-
छोटे-मोटे मतभेद बड़े मुद्दे न बनाएं
-
भविष्य के फायदे को ध्यान में रखें
अस्थायी असुविधा के बाद मिलने वाला नया घर, आधुनिक इमारत और सुरक्षित संरचना—इन सभी का मूल्य कहीं ज़्यादा है।

Comments
Post a Comment