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Clubbing Provision Rule: अगर आप टैक्स देनदारी कम करने के लिए अपना पैसा परिजन के माध्यम से निवेश करते हैं तो अलर्ट हो जाइए

जिसकी आय, उसी पर टैक्स। आयकर विभाग ने हाल ही में क्लबिंग प्रोविजंस (Clubbing Provisions) पर एक ब्रोशर जारी किया है। इसमें बताया गया है कि यदि आप टैक्स बचाने के उद्देश्य से अपनी पत्नी, बच्चों, बहू, सास-ससुर या किसी अन्य करीबी रिश्तेदार के नाम से निवेश करते हैं, तो यह योजना आपके लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है।

कई लोग अपनी आय का एक हिस्सा अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर निवेश करके टैक्स देनदारी कम करने की कोशिश करते हैं। लेकिन आयकर कानून के क्लबिंग प्रोविजंस के तहत, इस तरह का निवेश आपकी खुद की टैक्सेबल इनकम में जोड़ा जाएगा। इसका मतलब यह है कि अगर आपने अपनी पत्नी या बच्चे के नाम से कोई संपत्ति या निवेश किया है, तो उससे होने वाली कमाई पर टैक्स आपकी ही आय में जुड़ेगा और आपको ही उसका भुगतान करना होगा।

इसलिए, यदि आप अपने परिवार के सदस्यों को गिफ्ट, निवेश या अन्य वित्तीय लाभ दे रहे हैं, तो यह जरूरी है कि आप आयकर अधिनियम की क्लबिंग प्रोविजंस को समझें ताकि भविष्य में आपको किसी परेशानी का सामना न करना पड़े।


क्या है क्लबिंग प्रोविजंस और इसका उद्देश्य?

क्लबिंग प्रोविजंस का मुख्य उद्देश्य टैक्स चोरी रोकना और सही टैक्स देनदारी तय करना है। कई लोग अपनी आय का एक हिस्सा परिवार के सदस्यों के नाम पर ट्रांसफर करके टैक्स से बचने की कोशिश करते हैं। लेकिन आयकर अधिनियम, 1961 की विभिन्न धाराओं के तहत, अगर कोई व्यक्ति किसी करीबी रिश्तेदार के नाम पर निवेश करता है, तो उस निवेश से होने वाली कमाई उस व्यक्ति की खुद की टैक्सेबल इनकम में जोड़ी जाएगी।

इसका मतलब यह है कि किसी भी प्रकार की संपत्ति, नकद, गिफ्ट या निवेश जो बिना उचित कन्सिडरेशन (बिना उचित मूल्य के) दिया जाता है, उसकी आय देने वाले व्यक्ति की इनकम में जोड़ी जाती है।


किन स्थितियों में लागू होते हैं क्लबिंग प्रोविजंस?

1. यदि आप बहू को संपत्ति गिफ्ट करते हैं, तो टैक्स आपको भरना होगा

धारा 64 (1) (vi): अगर कोई व्यक्ति अपनी बहू (बेटे की पत्नी) को कोई संपत्ति गिफ्ट करता है और उससे कोई आमदनी होती है, तो वह आमदनी व्यक्ति की खुद की टैक्सेबल इनकम में जोड़ी जाएगी।

उदाहरण के लिए, यदि रमेश ने अपनी बहू सुनीता को 10 लाख रुपये गिफ्ट किए और उसने उसे बैंक में जमा कर 80,000 रुपये ब्याज कमाया, तो यह आय रमेश की इनकम मानी जाएगी और उसे इस पर टैक्स भरना होगा।

हालांकि, अगर सुनीता इस पैसे को आगे निवेश करके कोई अतिरिक्त कमाई करती है, तो उस पर सुनीता को ही टैक्स देना होगा।


2. यदि पति अपनी पत्नी को पैसा या संपत्ति देता है, तो टैक्स पति को भरना होगा

धारा 64(1)(iv): यदि पति अपनी पत्नी को बिना किसी लाभ के (बिना कन्सिडरेशन) संपत्ति देता है, तो उस संपत्ति से होने वाली संपूर्ण आमदनी पति की आय में जुड़ जाएगी।

उदाहरण:

  • यदि एक पति अपनी पत्नी को एक दुकान गिफ्ट करता है और पत्नी उस दुकान को किराए पर देती है, तो किराये से हुई आमदनी पति की इनकम में जुड़ेगी और टैक्स भी पति को ही भरना होगा।

3. यदि पति या पत्नी को वेतन मिलता है, तो क्लबिंग प्रोविजंस लागू हो सकते हैं

धारा 64(1)(ii): यदि कोई व्यक्ति अपने पति/पत्नी को किसी व्यवसाय या संस्था से वेतन, कमीशन, भत्ता या अन्य प्रकार की आय देता है, तो वह आय व्यक्ति की अपनी इनकम में जोड़ी जाएगी।

लेकिन अगर पति/पत्नी का काम उनके व्यक्तिगत कौशल, योग्यता या विशेषज्ञता पर आधारित है, तो यह क्लबिंग प्रोविजन लागू नहीं होगा।

उदाहरण:

  • यदि पति अपने व्यवसाय में पत्नी को केवल टैक्स बचाने के लिए वेतन देता है, तो यह आय पति की इनकम में जुड़ जाएगी।
  • लेकिन अगर पत्नी अपने व्यक्तिगत कौशल (जैसे चार्टर्ड अकाउंटेंसी, डॉक्टर, वकील आदि) से पैसा कमाती है, तो इस पर क्लबिंग प्रोविजंस लागू नहीं होंगे।

4. नाबालिग बच्चे की आय माता-पिता की इनकम में जुड़ेगी

धारा 64(1A): यदि कोई नाबालिग बच्चा (18 साल से कम उम्र) किसी भी प्रकार की संपत्ति, निवेश या गिफ्ट से आय अर्जित करता है, तो वह आय माता-पिता की इनकम में जोड़ी जाएगी और उसी के अनुसार टैक्स लगेगा।

अपवाद:

  • अगर बच्चा अपने खुद के टैलेंट, मेहनत या प्रोफेशनल स्किल से पैसा कमाता है (जैसे स्पोर्ट्स, एक्टिंग, म्यूजिक, पेंटिंग आदि), तो उसकी कमाई पर क्लबिंग प्रोविजंस लागू नहीं होंगे।

5. अगर कोई व्यक्ति संपत्ति या गिफ्ट एचयूएफ (HUF) को देता है, तो टैक्स देने वाले पर ही लगेगा

धारा 64(2): यदि कोई व्यक्ति हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) को संपत्ति या निवेश ट्रांसफर करता है और उससे कोई आमदनी होती है, तो यह व्यक्ति की खुद की आय मानी जाएगी और टैक्स उसी पर लगेगा।

उदाहरण:

  • यदि मोहन ने अपने एचयूएफ को 5 लाख रुपये दिए और इस राशि से एचयूएफ को 50,000 रुपये ब्याज मिला, तो यह 50,000 रुपये मोहन की इनकम माने जाएंगे और टैक्स भी मोहन को ही देना होगा।

क्या क्लबिंग प्रोविजंस से बचने का कोई तरीका है?

  1. समझदारी से निवेश करें:

    • यदि कोई निवेश पूरी तरह से पत्नी/बच्चे के नाम पर हो और उसका प्रबंधन भी वही करें, तो इससे होने वाली आय पर क्लबिंग प्रोविजंस लागू नहीं होंगे।
    • उदाहरण के लिए, यदि पत्नी खुद के पैसों से कोई संपत्ति खरीदती है और उस पर इनकम होती है, तो उस पर टैक्स पत्नी को ही देना होगा।
  2. न्यायसंगत वेतन दें:

    • अगर आप अपने पति/पत्नी को अपने व्यवसाय में काम के लिए वेतन देना चाहते हैं, तो यह वेतन उनकी योग्यता और काम की मात्रा के अनुसार उचित होना चाहिए।
  3. इरिवोकेबल ट्रस्ट बनाएं:

    • यदि कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति को इरिवोकेबल ट्रस्ट (जिसे बदला न जा सके) में डाल देता है और न्यूनतम 6 साल की अवधि के लिए रखता है, तो इससे होने वाली आमदनी उसकी इनकम में नहीं जुड़ेगी।

निष्कर्ष

अगर आप टैक्स बचाने के लिए अपने परिवार के सदस्यों के नाम से निवेश कर रहे हैं, तो यह आपके लिए जोखिमभरा साबित हो सकता है। आयकर अधिनियम के क्लबिंग प्रोविजंस के तहत, इस तरह के निवेश से होने वाली आय आपकी खुद की टैक्सेबल इनकम में जुड़ जाएगी और आपको ही उस पर टैक्स देना होगा।

इसलिए, अपनी कर योजना बनाते समय इन प्रावधानों को ध्यान में रखें और सही कर योजना अपनाएं। इससे आप अनावश्यक टैक्स देनदारी से बच सकते हैं और साथ ही किसी भी कानूनी जटिलता से सुरक्षित रह सकते हैं।

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