Property Transfer Types: सेल डीड और लीज डीड में क्या होता है अंतर, जानिए प्रॉपर्टी की कौन सी डीड कराना ज्यादा फायदे का सौदा
मकान या जमीन खरीदने से पहले कई बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है। प्रॉपर्टी चाहे किसी भी जगह की क्यों न हो, उसे खरीदते या बेचते समय कई चीजों का ध्यान रखना पड़ता है। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि सेल डीड और लीज डीड में क्या अंतर होता है, आइए इस विषय को विस्तार से समझते हैं।
सेल डीड और लीज डीड क्या होती हैं?
प्रॉपर्टी की कीमतें दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं। महंगाई के बावजूद भी लोग प्रॉपर्टी खरीदने और बेचने में रुचि दिखा रहे हैं। खुद का मकान या जमीन खरीदना किसी भी व्यक्ति के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। लेकिन प्रॉपर्टी खरीदने से पहले कुछ कानूनी पहलुओं को समझना आवश्यक है।
प्रॉपर्टी का हस्तांतरण (Transfer of Property) कई तरीकों से किया जा सकता है, जैसे:
- सेल डीड (Sale Deed)
- लीज डीड (Lease Deed)
- गिफ्ट डीड (Gift Deed)
- पॉवर ऑफ अटॉर्नी (Power of Attorney)
सेल डीड क्या होती है?
सेल डीड वह कानूनी दस्तावेज है जिसके माध्यम से संपत्ति का पूरा मालिकाना हक विक्रेता से क्रेता को स्थायी रूप से हस्तांतरित कर दिया जाता है। इसे स्टांप पेपर पर लिखा जाता है और स्थानीय उप-पंजीयक कार्यालय में इसका पंजीकरण (Registration of Sale Deed) किया जाता है।
सेल डीड के महत्वपूर्ण बिंदु:
- मालिकाना हक का पूर्ण हस्तांतरण: सेल डीड के माध्यम से संपत्ति का पूर्ण स्वामित्व क्रेता को मिल जाता है।
- पंजीकरण अनिवार्य: बिना रजिस्ट्रेशन के यह कानूनी रूप से मान्य नहीं होती।
- दाखिल खारिज प्रक्रिया: सेल डीड रजिस्ट्रेशन के बाद संपत्ति को सरकारी रिकॉर्ड में अपडेट कराया जाता है।
लीज डीड क्या होती है?
लीज डीड के माध्यम से संपत्ति का स्वामित्व किसी अन्य व्यक्ति को अस्थायी रूप से हस्तांतरित किया जाता है। यह 10 साल, 30 साल या 99 साल के लिए हो सकती है।
लीज डीड के महत्वपूर्ण बिंदु:
- निर्धारित समय के लिए स्वामित्व: लीज डीड में संपत्ति का स्वामित्व पूरी तरह से हस्तांतरित नहीं किया जाता, बल्कि एक निर्धारित अवधि के लिए दिया जाता है।
- रजिस्ट्रेशन आवश्यक: यह भी कानूनी रूप से मान्य होती है और इसका पंजीकरण किया जाता है।
- लीज समाप्त होने पर स्वामित्व वापस: लीज समाप्त होने के बाद संपत्ति मूल मालिक के पास वापस आ जाती है।
सेल डीड और लीज डीड में क्या अंतर है?
विशेषताएं | सेल डीड | लीज डीड |
---|---|---|
स्वामित्व | स्थायी | अस्थायी |
समय सीमा | स्थायी | 10, 30, 99 साल |
पंजीकरण | अनिवार्य | अनिवार्य |
दाखिल खारिज | आवश्यक | आवश्यक नहीं |
स्वामित्व का प्रकार | पूर्ण स्वामित्व | किरायेदारी |
सेल डीड कराएं या लीज डीड?
- यदि आप किसी संपत्ति के स्थायी मालिक बनना चाहते हैं, तो सेल डीड कराना सबसे सही विकल्प है।
- यदि आपको संपत्ति का अस्थायी स्वामित्व चाहिए, जैसे कि किसी व्यवसाय या किराए के मकान के लिए, तो लीज डीड कराना फायदेमंद हो सकता है।
- सरकार समय-समय पर लीज डीड वाली संपत्तियों को सेल डीड में बदलने के लिए स्कीम निकालती है, जिसमें शुल्क देकर इसे स्थायी रूप में बदला जा सकता है।
निष्कर्ष
प्रॉपर्टी खरीदते समय सही कानूनी प्रक्रिया का पालन करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। यदि आप किसी संपत्ति के स्थायी मालिक बनना चाहते हैं, तो सेल डीड सबसे उपयुक्त विकल्प है। वहीं, यदि आपको कुछ समय के लिए संपत्ति का उपयोग करना है, तो लीज डीड बेहतर है।
इसलिए, प्रॉपर्टी खरीदते समय उसकी कानूनी स्थिति, स्वामित्व, और रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को ध्यान से समझकर ही निर्णय लें।
Comments
Post a Comment